CAA के सर्मथन में बिहार, राजनीतिक पार्टियां व वामपंथियों ने देश में भ्रम फैलाया-शाह

पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या 1951 में जहां 23 प्रतिशत थी, वह घट कर 4 प्रतिशत से नीचे आ गई है। इसी तरह बांग्लादेश में हिन्दुओं की जनसंख्या घट कर 7 प्रतिशत रह गई है। राहुल गाँधी, लालू यादव, ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल इसका जवाब दें कि इतने लोग कहाँ गए? श्री शाह ने किए सवाल।

वैशाली,बिहार। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर जिस तरह से देश में भ्रम फैलाया जा रहा है, उसी को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बिहार के वैशाली में भाजपा के देशव्यापी कार्यक्रम जन-जागरण अभियान के तहत नागरिकता संशोधन कानून कानून को लेकर आयोजित विशाल जन-सभा को संबोधित करते हुए श्री शाह ने बिहार के नागरिकों को नागरिकता संशोधन कानून के बारे स्पस्ट जानकारी दिया। सीएए पर देश में भ्रम फैलाने वाली राजनीतिक पार्टियों पर सवाल करते हुए श्री शाह ने कांग्रेस, राजद, आप पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, सपा-बसपा और वामपंथी पार्टियों पर देश की जनता को गुमराह कर हिंसा की राजनीति करने का आरोप मढ़ते हुए कई हमले किये।
श्री शाह ने कहा कि जब-जब मानवाधिकार, पिछड़ों का कल्याण और लोकतंत्र की भावना का जिक्र आयेगा, तब-तब वैशाली के गणतंत्र को याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विषय भी मानवाधिकार और सताए हुए लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है। बिहार पीड़ितों के साथ न्याय करने वाली भूमि है। सामाजिक न्याय की शुरुआत भी बिहार की ही धरती से हुई जहां लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बाबू जगजीवन राम और कर्पूरी ठाकुर जैसे महान मनीषी हुए। इसलिए जन-जागरण अभियान को बिहार का अभूतपूर्ण जन-समर्थन मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक रूप से प्रताड़ित हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून लाया गया है लेकिन जो लोग बात तो मानवाधिकार की करते हैं, पीड़ितों के हित की करते हैं पर जब उनके वोट बैंक की बात आती है तो उन्हें कुछ नहीं दिखता, बस अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना उनके समझ में आता है। ये लोग युवाओं को खासकर मुस्लिम भाइयों को गुमराह कर रहे हैं। मैं मुसलमान भाइयों से अपील करता हूँ कि वे नागरिकता संशोधन कानून को पढ़ें, इसमें नागरिकता जाने का कोई प्रावधान ही नहीं है, यह तो नागरिकता देने का प्रावधान है। मैं राहुल गाँधी, लालू यादव, अरविन्द केजरीवाल और ममता बनर्जी को भी कहना चाहता हूँ कि वे भ्रम फैला कर देश की जनता को गुमराह करना बंद करें।

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केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि धर्म के आधार पर देश का बंटवारा नहीं होना चाहिए था लेकिन ऐसा किसने किया? यह कांग्रेस पार्टी थी जिसने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा स्वीकार किया और उन्होंने ऐसा कर गलत नींव डाला। नेहरू-लियाकत समझौते का पालन हिंदुस्तान ने तो किया, हमारे यहाँ तो अल्पसंख्यकों को बराबर का सम्मान मिला लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर भीषण अत्याचार हुए। बांग्लादेश और अफगानिस्तान में भी अल्पसंख्यों की संख्या में भारी गिरावट आई। पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या 1951 में जहां 23 प्रतिशत थी, वह घट कर 4 प्रतिशत से नीचे आ गई है। इसी तरह बांग्लादेश में हिन्दुओं की जनसंख्या घट कर 7 प्रतिशत रह गई है। राहुल गाँधी, लालू यादव, ममता बनर्जी और अरविन्द केजरीवाल इसका जवाब दें कि इतने लोग कहाँ गए? या तो मार दिए गए, या फिर उनका धर्म परिवर्तन करा दिया गया या फिर उन्हें भारत आने को मजबूर होना पड़ा। इन शरणार्थी भाइयों की प्रताड़ना जो हुई है, इससे बड़ा मानवाधिकार उल्लंघन कुछ और नहीं हो सकता। मैं ह्यूमन राइट्स के चैम्पियंस से भी सवाल पूछना चाहता हूँ कि शरणार्थियों के पास उनके अपने देश में जमीन थे लेकिन आज वे मजदूरी कर रहे हैं, वहां उनके पास रहने को घर था, आज उन्हें रहने की जगह नसीब नहीं है तो इसका जिम्मेवार कौन है? क्यिा इन शरणार्थियों का कोई ह्यूमन राइट्स नहीं है? उनके परिवार की बहू-बेटियों के साथ बलात्कार किया गया, उन्हें जबरन उनके घर से निकाला गया। 70 सालों से ये शरणार्थी भारतवर्ष में सम्मान भरा जीवन जीते आ रहे हैं लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने इन प्रताड़ित लोगों की कोई सुध नहीं ली। उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी ने 26 सितंबर 1947 को कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख हर नजरिये से भारत आ सकते हैं, उन्हें नौकरी देना, सम्मान के साथ जिंदगी देना और नागरिकता देना भारत का पहला कर्तव्य है। पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना आजाद, आचार्य कृपलानी सभी नेताओं ने पाकिस्तान से आये अल्पसंख्यक विस्थापितों को भारत की नागरिकता देने की वकालत की थी लेकिन आज कांग्रेस पार्टी मत की लालच में अपनी मति खो बैठी है और (CAA) का विरोध कर रही है।
श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने 2003 में बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आये हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने की वकालत की थी। इतना ही नहीं, राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए जारी कांग्रेस के घोषणापत्र में भी पाकिस्तान से आये शरणार्थी हिन्दुओं को नागरिकता देने का वादा भी किया था। आज जब मोदी सरकार उन्हें नागरिकता दे रही है तो उन्हें परेशानी किस चीज की हो रही है? जब आप शरणार्थियों को नागरिकता दें तो वह सांप्रदायिक नहीं है लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सीएए लेकर आते हैं तो यह सांप्रदायिक हो जाता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में अपनी इज्जत बचाने आये हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शरणार्थियों में 70 प्रतिशत से अधिक दलित हैं। देश के दलित और आदिवासी आज यह देख रहे हैं कि कांग्रेस, सपा ,बसपा, राजद, तृणमूल, आप पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टियां किस तरह दलितों के खिलाफ काम कर रही हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस, राजद, तृणमूल, आप पार्टी, वामपंथी पार्टियां हमेशा देश हित के मुद्दों पर वोट बैंक की पॉलिटिक्स के तहत विरोध करती रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने धारा 370 और 35ए को खत्म किया तो राहुल गाँधी ने इसका विरोध किया। हम राम जन्मभूमि के पक्ष में थे तो कांग्रेस इसे सुप्रीम कोर्ट में लटकाए रखना चाहती थी। हमने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को खत्म करने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक किया तो राहुल गाँधी और कांग्रेस ने इसका भी विरोध किया। आखिर कांग्रेस देश के विरोध में ऐसी हरकतें क्यों करती हैं? कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थन में खड़ी हो जाती है, राहुल गाँधी देशद्रोही नारे लगाने वालों के समर्थन में जेएनयू जा पहुँचते हैं, क्या देश को टुकड़े-टुकड़े करने का ख्वाब पाले बैठे लोगों को जेल में नहीं डाल देना चाहिए? जेएनयू में देश को टुकड़े-टुकड़े करने का सपना पाले बैठे लोगों को हमने जेल में डाला लेकिन केजरीवाल उन देशद्रोही तत्वों पर केस चलाने की इजाजत ही नहीं देते। ये मोदी सरकार है, हिंदुस्तान की धरती पर देशविरोधी नारे लगाने वालों की असली जगह जेल की सलाखों के पीछे ही होगी।

श्री शाह ने कांग्रेस, राजद, तृणमूल और वामपंथी पार्टियों की तुलना पाकिस्तान से करते हुए कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करते हैं तो राहुल गाँधी भी सबूत मांगते हैं, राजद, तृणमूल और वामपंथी पार्टियां भी इसका सबूत मांगती हैं तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इसका सबूत मांगते हैं। आखिर सभी मुद्दों पर इमरान खान और राहुल गाँधी, लालू यादव, अरविन्द केजरीवाल और ममता बनर्जी की भाषा एक जैसी ही क्यों दिखाई देती है? आखिर इन सबके बीच रिश्ता क्या है? देशहित के मुद्दों का ये पार्टियां विरोध क्यों करती हैं?

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