कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री के लिए मुख्यालय का गेट नहीं खोला, वाजपेयी को क्या खाक सम्मान देती

अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण सम्मान मृत्युपरांत इस सरकार में मिला, कांग्रेस सरकार में रहते उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

याद करिए, कांग्रेस ने अपने ही वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के निधन पर सोनिया गांधी के मौखिक निर्देश पर उसके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने कांग्रेस मुख्यालय का गेट नहीं खोला। थक-हारकर राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में न करके हैदराबाद में करना पड़ा। इस स्तर तक ये लोग गिर सकते हैं। उस व्यक्ति के लिए जिसने गांधी-नेहरू परिवार से अलग होकर भी न सिर्फ अल्पमत की सरकार को पूरे पांच साल तक चलाया, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई गति दी।

इतना ही नहीं जिस मनमोहन सिंह को राव ने अपना वित्त मंत्री बनाया था वह कांग्रेस की राजमाता सोनिया गांधी के डर से अपने पूर्व बॉस को श्रद्धांजलि तक व्यक्त करने नहीं गए। नीचता की इस हद तक जाने वाले लोग नैतिकता और शुचिता की बातें करते हैं।

पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को सही चिकित्सा तक नहीं मिल सका। उन्हें पटना के सदाकय आश्रम में सीलनभरे कमरे में रहना पड़ा। कहा तो इतना तक जाता है कि अंतिम समय में नेहरू के निर्देश पर डायलिसिस मशीन तक को हटा दिया। इस पर भघ संतोष नहीं हुआ तो राजेंद्र प्रसाद के अंतिम संस्कार के दिन नेहरू जयपुर चले गए, जिससे कि संस्कार में शामिल न होना पड़े। राजस्थान के राज्यपाल को भी अंतिम

संस्कार में शामिल होने से यह कह कर रोक दिया कि प्रधानमंत्री के आगमन पर उनका रहना जरूरी है।
हरि अनंत, हरि कथा अनंता की तरह गांधी-नेहरू परिवार की नीचतापूर्ण हरकतों की अनंत कहानियां हैं।
1.सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु के बारे में देश को हमेशा भ्रम में रखा और विमान दुर्घटना की झूठी खबरें देश को दी।
2.आजीवन शाकाहारी रहे लालबहादुर शास्त्री को किसके कहने पर मुस्लिम रसोइए से खाना बनवाया कर दिया गया। उनकी मृत्यु के बाद शव का पोस्टमॉर्टम क्यों नहीं करने दिया गया। उस समय उपस्थित लोगों ने साफ-साफ महसूस किया था कि शास्त्री जी का शरीर नीला पड़ गया था। शास्त्री जी के निजी चिकित्सक जो इस संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति स्पष्ट करना चाहते थे उनकी सड़क दुर्घटना का नाम देकर मार दिया गया।
3.जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को शेख अब्दुल्ला का सहारा लेकर नेहरू ने निपटा दिया। उन्हें भी जहर देकर मारा। यहां तक कि उनकी निजी डायरी जिसमें वो प्रतिदिन की घटनाओं का उल्लेख करते थे, गायब कर दिया।
इसके बावजूद कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार के प्रति किसी की आस्था है तो उसका भगवान ही मालिक है। ये लोग अपने बाप के भी नहीं हुए हैं, तो दूसरों के क्या होंगे। इन्हें बस ऐसे लोग चाहिए जो हां में हां मिलाए और रिमोट कंट्रोल से संचालित होने में भी गर्व का अनुभव कर सके। जैसा कि मनमोहन सिंह 10सालों तक सोनिया गांधी के रिमोट कंट्रोल से संचालित होकर प्रधानमंत्री के पद पर रहे। बगैर रीढ़ की हड्डी वाले लोग कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार को खूब सुहाते हैं, लेकिन जैसे ही वो लीक से हटकर वो स्वतंत्र निर्णय लेना शुरू करता है अपने अंजाम को प्राप्त हो जाता है।

सुभाषचंद्र बोस, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री, जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पीवी नरसिम्हा राव से लेकर कई ऐसे नाम हैं जिनके साथ कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार ने नीचतापूर्ण हरकतें की थीं।

-हरेश कुमार

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