रामदेव और पतंजलि पर हाल के दिनों में कई आरोप, लगे हैं और सारे फर्जी नहीं हैं

रामदेव के इनकम टैक्स के बारे में सवाल पूछने पर अगर पुण्य प्रसून वाजपेयी की नौकरी गई है तो यह देश का दुर्भाग्य है। यह आज तक जैसे मीडिया हाउस के लिए भी शर्मनाक है। हजारों करोड़ के स्वामित्व वाला मीडिया हाउस रामदेव की व्यापारिक संस्था पतंजलि द्वारा महज कुछ करोड़ रुपए के विज्ञापन के लिए अपने पुराने एंकर से मुंह मोड़ लेती है तो इसे क्या कहा जाए।फिर तो यही समझा जाएगा कि जब तक उपयोग में आते रहे, तब तक उपयोग किया और इसके बाद दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका। कहीं ऐसा तो नहीं कि उक्त कंपनी काफी दिनों से अपने इस एंकर से छुटकारा पाना चाहती थी और उसे एक मौके की तलाश थी। सवाल पूछना ही चाहिए। बाकी तो सबको पता है क्रातिकारी, बहुते क्रांतिकारी का नजरिया। लेकिन इस कारण से अगर नौकरी गई है तो चैनल और रामदेव दोनों के निंदनीय कृत्य है। रामदेव और उनकी कंपनी पर हाल के वर्षों में आरोपों की बौछार हो रही है। कुछ केंद्र के समर्थन के कारण तो कुछ असलियत भी है। एकदम से सारे बकबास नहीं हैं ये आरोप।
निकालना तो तब बनता था जब दुनियाभर के लोगों ने क्रांतिकारी, बहुत ही क्रांतिकारी वीडियो देखा था, लेकिन तब तो कोई कार्रवाई नहीं हुई या तो दिल्ली सरकार और केजरीवाल के रहमोकरम से हो या फिर जो भी कारण रहा हो।
बाबा रामदेव का व्यापार हाल के दिनों में बहुत तेजी से बढ़ा है और इसपर कई तरह के आरोप लगे हैं। रामलीला मैदान में सलवार-शमीज में भागने वाले बाबा अपने व्यापारिक हितों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। ये चीन को चंदन की लकड़ी (भले ही वो सी या डी ग्रेड की ही क्यों न हो) भी व्यापार के नाम पर बेच सकते हैं।
इनके प्रोडक्ट्स के बारे में कई शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन सरकार के समर्थन के कारण ये अब तक बच रहे हैं। दुनिया ने देखा कि पिछली सरकार में इनके बालसखा और पतंजलि कंपनी के सीईओ किस तरह भागे-भागे फिरते रहे। सरकार बदले जाने के बाद ही ये अवतरित हुए। इनपर फर्जी डिग्री का आरोप है।
खैर, जनता को सच्चाई जानने का हक है। केंद्र में आज सरकार समर्थन में है तो कल को बदल भी सकती है। रामलीला मैदान में डंडा पड़ने से पहले इसी रामदेव की अगुवाई को कांग्रेस के चार वरिष्ठ मंत्री हवाई अड्डा गए थे। केंद्र की सत्ता में आज मोदी और भारतीय जनता पार्टी आई है। इससे पहले रामदेव कांग्रेस के समर्थन से ही फलते-फूलते रहे हैं।
असम में इनके द्वारा निर्मित किए जा रहे फूड पार्क में दो हाथी का बच्चा मारा गया था और यह खबर मीडिया की सुर्खियों से एकदम से गायब मिली थी। अगर, इसी तरह आरोपों की बौछार होती रहे तो रामदेव और कंपनी को जमीं पर गिरते देरी न लगेगी।
-हरेश कुमार

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