13 अंक से भयभीत होने का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है, यह सिर्फ एक अंधविश्वास है

13 के अंक से घबराएं नहीं, बल्कि दृढ़ विश्वास और निश्चय के साथ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर संघर्ष करें, सफलता आपके कदम चूमेगी। अंक 13 में अनजाना भय, चेतावनी छिपी हुई है फिर भी अंक 13 को कई लोग अपने लिए शुभ मानते हैं। अंक 13 से प्रभावित व्यक्ति निरंतर कठिनाइयों से जूझते हुए, निरंतर संघर्ष करते हुए विजयश्री का वरण करते हैं। मानव जीवन भी एक संघर्ष है। मोक्ष प्राप्त हेतु जातक को विभिन्न योनियों से गुजरना प़डता है अर्थात् निरंतर मृत्यु से संघर्ष करते-करते ही मोक्ष प्राप्त संभव है। राजस्थानी में एक कहावत है तीन-तेरह कर देना अर्थात् परेशान करना या बनाया काम बिगाड देना अधिकांश लोग आज भी तीन और तेरह से भयभीत हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से भी 13 का गहरा संबंध रहा। उनका प्रधानमंत्रित्व काल प्रथम बार 13 दिन ही रहा फिर भी वाजपेयी ने शपथ ग्रहण हेतु 13 तारीख को ही चुना तो उनकी सरकार भी 13 महीने चली, लेकिन पुनरू वाजपेयी ने 13वीं लोकसभा के प्रधानमंत्री के रूप में, 13 दलों के सहयोग से 13 तारीख को ही शपथ ली। लेकिन फिर 13 को ही पराजय भी देखनी प़डी।

इतिहास में 13 अंक
यदि किसी चंद्र पक्ष में 13 दिन (तिथि क्षय के कारण) रह जाएं तो वह पक्ष अशुभ माना जाता है। इसी प्रकार किसी वर्ष में 13 महीने हो जाएं अर्थात् अधिक मास आए तो अधिक मास को भी शुभ नहीं माना जाता है लेकिन आत्म कल्याण अर्थात् मोक्ष की चाह रखने वालों हेतु, यह पुरूषोत्तम मास शुभ है। महाभारत का 13 दिन तक का युद्ध तो कौरवों के पक्ष में रहा, लेकिन फिर पांडवों का पलडा भारी होने लगा।
जैन धर्म में भी आचार-विचार एवं व्यवहार की शिथिलता बढ़ने लगी तो आचार्य भिक्षु ने तेरह साधु एवं तेरह श्रावकों के साथ तेरापंथ की स्थापना की। प्रारंभ में इन्हें भी विरोधियों का सामना करना पड़ा, लेकिन वर्तमान में तेरापंथ, जैन धर्म संप्रदाय के रूप में विख्यात है।

ईसा मसीह ने भी अपने 13 शिष्यों के साथ जिस दिन भोजन किया, वही उनके जीवन का अंतिम दिन था लेकिन उसके तीन दिन पश्चात् ही वे पुनरू जीवित हो उठे अर्थात् 13 सदस्यों के साथ भोजन कर कुछ प्रसिद्धि हेतु जीवन संघर्ष कराया फिर तीन दिन पश्चात् ही उनकी प्रसिद्धि प्रारंभ हुई। अत: 13 अंक का भय एक अनावश्यक तथ्य है। 13 के अंक से घबराएं नहीं, बल्कि दृढ़ विश्वास और निश्चय के साथ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर संघर्ष करें, सफलता आपके कदम चूमेगी।

हम सभी बचपन से सुनते आए हैं कि अंकों में 13 नंबर को अशुभ या मनहूस माना जाता है, लेकिन क्या कभी हम में से किसी ने इसका कारण जानने का प्रयास किया है? अगर आपको वाकई 13 नंबर का रहस्य नहीं मालूम तो इसे जरूर जानना चाहिए।
दरअसल, 13 नंबर को दुनियाभर में दुर्भाग्यपूर्ण या मनहूस संख्या के तौर पर देखा जाता है। इसलिए बहुत से लोग इस अंक का प्रयोग करने से भी बचते हैं। कई लोग तो इस अंक को अपनी जुबान से भी पुकारते। अब आप सोच रहे होंगे कि महज एक डिजिट ही तो है, तो फिर लोगों को इसे पुकारने में भी इतनी कठिनाई क्यों?

खासतौर से पश्चिमी राष्ट्रों में आपको इसका अच्छा-खासा भय देखने को मिलेगा। वहां के लोगों के बीच 13 नंबर को लेकर जैसा डर का माहौल नजर आएगा आपको शायद ही कहीं ओर ऐसा नजर आए। लेकिन जब आप उनके इस भय की वजह जान लेंगे तो शायद 13 नंबर से आप भी परहेज करने लग जाएंगे।
हमारा उद्देश्य आपको डराना नहीं, बल्कि 13 नंबर से जुड़े कुछ रहस्यमयी फैक्टर से आपको रूबरू कराना है। इसी वजह से संसार में ऐसा माहौल तैयार हो गया है कि लोगों ने इस अंक से ही दूरी बनाना प्रारम्भ कर दिया है। ये फैक्टर आपको वाकई सोचने पर मजबूर कर सकता है।

थर्टिन डिजिट फोबिया
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, 13 तारीख को इसलिए अशुभ माना जाता है, क्योंकि एकबार यीशु मसीह के साथ एक ऐसे शख्स ने विश्वासघात किया था जो उन्हीं के साथ रात्रिभोज कर रहा था। वह शख्स 13 नंबर की कुर्सी पर बैठा हुआ था। बस तभी से लोगों ने इस अंक को दुर्भाग्यपूर्ण समझ लिया व उसके बाद से इस नंबर से दूर भागने लगे।

मनोविज्ञान ने 13 अंक के इस भय को ट्रिस्काइडेकाफोबिया या थर्टिन डिजिट फोबिया नाम दिया है। भय इस हद तक बढ़ गया कि इसकी वजह से लोगों ने 13 नंबर का प्रयोग करना ही बंद कर दिया। ऐसे में अगर आप फॉरेन ट्रिप पर गए हो व आपको किसी होटल में ठहरते वक्त 13 नंबर का कोई रूम या किसी इमारतम में 13वीं मंजिल न नजर आए तो समझ जाना होटल का मालिक 13 नंबर को अशुभ मानता है।
आपको बहुत से लोग ऐसे भी दिख सकते हैं जो किसी होटल में 13 नंबर के रूम को लेना बिल्कुल पसंद नहीं करते। इसके अतिरिक्त आपको किसी बार या रेस्टोरेंट में 13 नंबर की खाने की टेबल नहीं दिखाई देगी।

13 नंबर का यह भय न सिर्फ पश्चिमी राष्ट्रों पर बल्कि हिंदुस्तान के लोगों पर भी सवार है। यहां भी बहुत से लोग इस अंक को अशुभ मानते हैं। आपको यह बात शायद ही मालूम हो कि सपनों के शहर कहे जाने वाले चंडीगढ़ राष्ट्र का सबसे सुनियोजित शहर माना जाता है। यह पंडित जवाहरलाल नेहरू के सपनों का शहर हुआ करता था। लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि इस सुनियोजित शहर में सेक्टर 13 नहीं है।
दरअसल, इस शहर का नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट ने 13 नंबर का सेक्टर ही नहीं बनाया। वह 13 नंबर को अशुभ मानता था। इस आर्किटेक्ट को इस शहर को डिजाइन करने के लिए विदेश से बुलवाया गया था।

अटल बिहारी वाजपेयी व 13 अटल बिहारी वाजपेयी के जिंदगी से भी 13 का गहरा संबंध रहा। उनका प्रधानमंत्रित्व काल पहली बार सिर्फ 13 दिन ही रहा फिर भी वाजपेयी ने शपथ ग्रहण हेतु 13 तारीख को चुना तो उनकी गवर्नमेंट भी 13 महीने चली। एक बार फिर वाजपेयी ने 13वीं लोकसभा के पीएम के रूप में 13 दलों के योगदान से 13 तारीख को ही शपथ ली, लेकिन फिर 13 को ही हार भी देखनी पड़ी।

विदेशों में भी 13 को अशुभ माना जाता है
फ्रांस के तो लोगों का मानना है कि खाने की मेज पर 13 कुर्सियां होना अच्छा नहीं है। इतना ही नहीं विदेशों में शुक्रवार की 13 तारीख को लोग अपने घरों से बाहर तक निकलना पसंद नहीं करते। यहां तक की होटलों में 13 नंबर के कमरे अक्सर होते ही नहीं हैं। हॉस्टल या घर लेते समय लोग 13 नंबर लेने से झिझकते हैं। उनके जेहन में इस बात का भय बैठा होता है कि कहीं कुछ अशुभ ना हो जाए।

क्या है विद्वानों का मत?
कई विद्वानों का मत है कि 13 नंबर न्यूमरोलॉजी के हिसाब से काफी शुभ नहीं माना जाता, क्योंकि 12 नंबर पूर्णता का प्रतीक है व इसमें एक व नंबर जोड़ना यानी बुरे किस्मत का प्रतीक माना जा सकता है। पश्चिम में कई होटल्स में 13 वे नंबर का रूम नहीं होता है। इटली के कई ओपरा हाउस में 13 नंबर के प्रयोग से बचा जाता है। लेकिन जानकारों ने हमेशा इसे लेकर लोगों के बीच भ्रम माना है व बार-बार बताया है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

यह भी पढ़ेंः वाजपेयी की राजनीति में 13 का अंक कभी खुशी, कभी गम की तरह आया

परफेक्ट नंबर 12 के बाद आता है 13
ज्यादातर वैज्ञानिक व गणितज्ञ 13 के पहले आने वाले अंक बारह को परफेक्ट नंबर मानते हैं। प्राचीन सभ्यताओं में भी बारह के साथ कई गणितीय व्यवस्थाएं बनाई गईं। जैसे हमारे कैलेंडर में 12 महीने व दिन 12-12 घंटों के समय में बंटा हुआ है। परफेक्ट अंक का निकटतम पड़ोसी होने के बावजूद 13 एक अविभाज्य व अपरिमेय संख्या (जिसे दो संख्याओं के अनुपात में न दिखाया जा सके) है। इसलिए ऐसा बोला जाता है कि कम उपयोगी होने के कारण ही धीरे-धीरे इसे अशुभ समझा जाने लगा हो।

तस्वीर का दूसरा पहलू
सच तो यह है कि आप 13 के अंक से खेलना प्रारंभ करें व कुछ दृढ़ निश्चय एवं लक्ष्य रखकर, अंतिम क्षण तक प्रयत्न करें, आपकी जीत सुनिश्चित है। इसलिए ज्यादातर लोगों का मानना है कि यह तथ्य मिथ्या है व इसमें कोई दम नहीं है।

13 नंबर के अशुभ होने को लेकर कई लोगो का कहना है कि ये सिर्फ अंधविश्वास है, क्योंकि इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। ज्यादातर जानकारों का मानना है कि 13 तारीख को कुछ लोगों के जिंदगी में बुरी घटनाएं घटित होती है तो वह इसे अशुभ मानने लगते हैं।
-हरेश कुमार

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