‘आम आदमी पार्टी’ से ‘आम आदमी’ का मोहभंग? जो केजरीवाल अपने जीत को लेकर आशंकाओं में है

@प्रमोद गोस्वामी, नई दिल्ली।
दिल्ली के अंदर 70 में से 67 सीट लाने वाली आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की नौबत क्यों? आप पार्टी अपने बलबूते पर चुनाव नहीं लड़ सकती है? अरविंद केजरीवाल और उनके नेतागण को हार का डर है जो कांग्रेस के सहारे की जरूरत पड़ रही है? आप मुखिया केजरीवाल ने भाजपा के सामने घुटने टेक दिए?

कांग्रेस के शासन के दौरान भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में हुए आंदोलन के बाद बनी आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव 2019, कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के लिए आतुर है।

आपको अन्ना हजारे का आंदोलन बखूबी याद होगा, 2011 में अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान पर तत्कालीन ‘यूपीए’ सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन में शामिल कई चेहरे राजनीति में आ चुके। उन्हीं में आज के एक बड़ा चेहरा अरविंद केजरीवाल का है, जो ईमानदारी का चोला पहन कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की और अन्ना हजारे की विचारधारा से अलग होकर ‘आम आदमी पार्टी’ का गठन किया।

‘आम आदमी’ का विश्वास जीतने के लिये केजरीवाल ने 14 दिनों तक दिल्ली के सुन्दर नगरी की गलियों में अनशन किया और ‘आम आदमी’ का विश्वास जीतने में सफल भी हुए। उस समय केजरीवाल ने दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ भ्रष्टाचार का 370 पेजों का खुलासा करने के लिए सबूत तैयार किया था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बनने पर केजरीवाल के 370 पेज का सबूत ना जाने कहां गायब हो गया।

2013 में केजरीवाल ने अपने पहले चुनाव में ही 28 सीटें जीतकर तीन बार की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित को 22 हजार वोटों से हरा दिया और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई, लेकिन मात्र 49 दिनों में ही सरकार गिर गई। दोबारा एक साल बाद 2015 में केजरीवाल ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। 70 में से 67 सीट जीत कर कांग्रेस मुक्त दिल्ली कर दिया। भाजपा को तीन सीटों के साथ कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया। आज चार साल बाद ऐसा क्या हो गया जो केजरीवाल अपने जीत को लेकर आशंकाओं से भरे हुए हैं। उन्हें खुद पर भरोसा नहीं रहा या चार साल का कार्यकाल के दौरान ‘आम आदमी पार्टी’ से ‘आम आदमी’ का मोहभंग हो गया जो केजरीवाल कांग्रेेस के आगे गठबंधंन के लिये गिड़गिड़ा रहे हैं।

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प्रदेश कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने आप पार्टी से गठबंधन करने के लिये कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिखा है, लेकिन प्रदेश अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आप पार्टी से गठबंधन को लेकर साफ तौर पर माना कर चुकी है। अब शीला के लिये यह गठबंधन नाक का सवाल बन गया है, केजरीवाल जब से मुख्यमंत्री बने तब से शीला दीक्षित और कांग्रेस के खिलाफ बोलते आ रहे है। केजरीवाल शीला दीक्षित को जेल तक भेजवाने की बात कह चुके हैं। शायद यही कारण है कि इतना सब कुछ होने के बाद शीला केजरीवाल से गठबंधन के लिये तैयार नहीं है। कल तक जो लोग एक दूसरे को चोर कहते रहे, आज सत्ता हासिल करने के लिये, मौसेरे भाई बन रहे हैं। कांग्रेस और आप पार्टी के बीच गठबंधन होता है तो ‘आम आदमी’ का इन दोनों पार्टियों पर से विश्वास उठ जायेगा।

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