DNS Bank घोटालाः 600 करोंड की जमा पूंजी वाला बैंक बना भ्रष्टाचार का अड्डा

नई दिल्ली। दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक (डीएनएसबी) के उपर पिछले कई सालों से भ्रष्टाचार के आरोप लगते आ रहे है। बैंक के पूर्व चेयरमैन व निदेशक जयभगवान और राजेश शर्मा के समय में बड़े घोटाले किए गए है, यह घोटाले कांग्रेस सरकार के समय 2011 से लेकर 2014 के बीच हुए थे, उस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित थी।

दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक घोटाले का जिन एक बार फिर बाहर आया है। शुक्रवार को सांसद उदित राज ने कहा कि दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक भ्रष्टाचार का अड़डा बन गया है। जनता के पैसो से बने बैंक को लुट से बचाने के लिए महीनों से तमाम सदस्य अपनी शिकायत लेकर मिलते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बैंक में भ्रष्टाचार करने में जयभगवान और राजेश शर्मा की अग्रणी भूमिका रही हैं। और इसी वजह से 2014 से 2017 तक प्रशासक नियुक्त किया गया। वर्तमान में जयभगवान के पुत्र दिनेश कुमार एवं राजेश शर्मा के भाई प्रदीप शर्मा भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। बैंक की जमा राशी लगभग 600 करोड़ है। भ्रष्टाचार की वजह से बैंक दिवालिया होने के कगार पर है।
कैसे हुए घोटालें

कुल सदस्यों की संख्या लगभग 65 हजार है और चुनी हुई समिति के चुनाव में भाग लेने वाले मात्र 4 से 5 हजार सदस्य थे। प्रबंधन समिति अपना वोट बढ़ाने के लिए खुद बैंक से लोगों के खाते में जमा करा देते हैं और उसी पैसे की वापसी से फर्जी सदस्य बनाये जाते हंै। प्रबंधन और निर्देशक परिवार के कुल 40 कर्मचारी-चपरासी से लेकर क्लर्क तक बिना योग्यता के नियुक्त किऐ गए थे और जांच के बाद उने हटाया गया। इसी तरीके से अपने रिश्तेदारों और चाहने वालों को बिना योग्यता पूर्ति के पदोनत्ति कर दिया गया था और जांच के बाद उन्हें डिमोट किया गया।
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बैंक प्रबंधन के भ्रष्टाचार के कारण लगभग 100 करोड़ का लोन बंदर बाट कर दिया गया। जिनके कागजाद आदि दुरूस्त नहीं थे जिन फर्जी दस्तावेज को दिखाकर लोन दिए गय थे उनको उमेश शर्मा ने स्वीकार किया। इन अनियमताओं के खिलाफ 60 शिकायतें और 5 एफआईआर दर्ज हुए हैं। लोन ऐसे व्यक्तिओे को मंजूर किया है जो बैंक के अधिकार के बाहर है।

बता दें कि पूर्व चेयरमैन व निदेशक जयभगवान पर महज कुछ महिने पहले भी भ्रष्टाचार यह आरोप लगे थे। लेकिन उन्होंने साफ तौर पर नकार दिया था। आम आदमी पार्टी ने भी इस मुद्दे को उठाया था, और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की शह पर घोटालों की बात कही थी। कही न कही यह घोटाला आरोपियों पर भारी पड़ते नजर आ रहा है।

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