जल संरक्षण हमारा दायित्व ही नही कर्तव्य भी है

जल पृथ्वी पर प्रकृति का दिया हुआ अनमोल उपहार है। सभी जीवों को जीवन यापन करने के लिए सबसे पहले पानी की आवश्यकता होती है। किंतु हमारे चारों और जल की निशुल्क उपलब्धता ने जल के महत्व कम कर दिया है। जिससे आज हम अपने सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण दायित्व को भूल चुके है। वह है जल संरक्षण, जल संरक्षण हम इंसानों को दायित्व ही नहीं कर्तव्य भी है। हमारी हरी भरी धरा के 70प्रतिशत भाग पर जल है जिसमें से केवल 1प्रतिशत पानी केवल पीने योग्य है। इतना कम पानी होने के बावजूद हम जल संरक्षण के प्रति कतई गम्भीर नहीं है। सरकारें हर वर्ष लाखों करोड़ो रूपये व्यर्थ जल बहाव को रोकने के लिए बहा देती है, परंतु आपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता। समय के साथ जल संरक्षण के प्रयासों, अभियानों और जागरूकता कार्यक्रमों में तो बढ़ोतरी हुई है परतुं जल की कद्र भी घटी है। अक्सर हमें अपने बड़े बुजर्गों से सुनने को मिलता है कि पहले पानी की बहुत किल्लत होती थी। कोसों दूर से पैदल चलकर पानी लाना पड़ता था। गाँव के सब लोग एक कुएँ, तालाब से पानी पीते थे। वर्षा आने से पहले जल संचय करने के लिए इंतजाम शुरू कर दिए जाते थे। जल को बेशकीमती मान कर जल का उपयोग किया था जाता। परतुं अब ऐसा कुछ दिखाई नहीं पड़ता है। शायद जल की हर घर तक नल द्वारा उपलब्धता ने जल की कद्र को घटाया है। जोकि हमारे भविष्य तथा आने वाली पीढ़ियों के लिये एक अदृश्य खतरे के रूप में दिखाई पड़ता है। आज जल के लिए दो देशों और दो राज्यों में अक्सर विवाद देखने को मिलते है। पानी की कमी के समाचार गर्मियों के दिनों में बहुत अधिक देखने को मिलते है। परंतु वर्षा ऋतु में जल संरक्षण से जड़े समाचार इतनी गम्भीरता से नहीं दिखाए जाते। शायद उस समय हमें अपने चारों ओर जल ही जल दिखाई देता है और हम आगामी दिनों में पानी को लेकर आने वाली किल्लत को भूले हुए होते है।

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अब वक्त जल संचय का है। जिससे पानी की कमी को कुछ हद तक कम किया जा सके। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी समय समय जल सरंक्षण की आवश्यकता और समय की जरूरत बताते हुए जल को बचाने की अपील करते रहे है। वर्षा ऋतु का आगमन और मानसून की शुरुआत हो चुकी है। इस लिहाज से अब जल संरक्षण का बहुत ही उत्तम समय है। अब इन दो से 3 महीनों में हम बहुत अधिक मात्रा में जल संचय कर सकते है। जिससे पानी की आगामी किल्लत से कुछ हद तक निजात मिलेगी। जल संरक्षण कोई ज्यादा मुश्किल या खर्चें वाला काम नहीं है, बल्कि छोटे छोटे प्रयासों से भी जल संरक्षण किया जा सकता है। हम अपने घरों के वाटर टैंक में वर्षा जल को एकत्रित कर सकते है। खेतों के टैंक भी वर्षा जल से भर सकते है। अपने खेत के कुएं तथा नलकूप भी बारिश से वाटर रिचार्ज कर सकते है। इस तकनीक से बहुत अधिक मात्रा में जल का संचय किया जा सकता है। अपने गाँवों के कुएं, तालाब, जोहड़ और बावड़ियों में भी कुछ महीनों का जल भण्डारित किया जा सकता है। सरकारी पैसे से भी पंचायत स्तर पर बनवाये गये वाटर टैंकों में भी वर्षा जल इक्कठा किया जा सकता है। आज हमें हर कार्य के लिए जल की जरूरत होती है। जिन्हें हम जल संरक्षण से आसानी से पूरा कर सकते हैं। खेती बाड़ी के कामों में बहुत अधिक मात्रा में जल की आवश्यता होती है। कृषि कार्यों में संचित किया वर्षा जल आसानी से काम लाया जा सकता है। हमारे द्वारा किया गया जल संरक्षण बैंक में जमा पैसे की तरह है जिसे मुश्किल समय में उपयोग में किया जा सकता है। इसलिए आज के दौर में जल संरक्षण अति आवश्यक है। हर इंसान को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाना जरूरी है और जल संरक्षण को अपना दायित्व ही नहीं कर्तव्य समझकर इसे निभाना चाहिये। हम सभी को यह शपथ लेनी चाहिए कि ष्कर लो अपने मन में निश्चय, करना है जल का संचय।

-हितेश कुमार भारद्वाज,

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