बुराड़ी कांडः फांसी के फंदों पर झुलती हुई लासों का सच?

नई दिल्ली। 01.जुलाई 2018 यानि कि जीएसटी दिवस की सुबह जब देशवासियों ने अब तक के सबसे बड़े कानून जिसे ऐतिहासिक ‘कर’ सुधार कहा जा रहा है, का परिणाम एक साल में क्या रहा है, को जानने के लिए टीवी आॅन किया तो 11 लोगों की एक ही घर में सामूहिक मौत की ख़बर देखकर सन्न रह गए। घर में आने-जाने का रास्ता खुला हुआ था, पड़ोसियों ने देखा कि इस परिवार का एक सदस्य जो किरयाने के दुकान चलाते हैं, आज दिखाई नहीं दे रहे हैं, दुकान भी बंद है, एक व्यक्ति ने जानने के लिए घर में प्रवेश किया तो उसने 10 फांसी के फंदों पर झूलती हुई लाशें देखीं। एक बुजुर्ग महिला अन्य कमरे में अचेत पड़ी थी। पुलिस को सुचित किया गया, पुलिस आई आस-पड़ोस के लोग जमा होने लगे, देश को झकझोर देने वाली इस ख़बर ने अब तक आग पकड़ ली थी, सब अपलक टीवी और इस घर की ओर देख रहे थे। मीडिया भी पल-पल की जानकारी जनता को दे रहा था। जांच शुरू हो चुकी थी, पुलिस के आला अधिकारियों का इस ओर आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा था। सब जानना चाहते हैं कि आखिर इन 11 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? पुलिस की ओर से कहा गया कि यह सामूहिक आत्महत्याएं भी हो सकती हैं। जी हां मैं बात कर रहा हूं संत नगर, बुराड़ी में घटित जुलाई माह-2018 की सबसे चर्चित और हैरान करने वाली घटना की।
सवाल उठना लाज़मी थे कि 11 के 11 लोग एक साथ अवसादग्रस्त नहीं हो सकते? सभी के पैर जमीन पर टच हो रहे हैं? पहली नजर में दिखने वाले, बुजुर्ग महिला को गला दबाकर किसने मारा? कोई एक 10 को मारकर आखिरी में खुद कैसे फंदे पर झूल गया? और उसकी मनोदशा कैसी रही होगी? पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी आई नहीं, इसे सामूहिक खुदकुशी कैसे कह सकते है? खुदकुशी की वजह भी ख़ोजनी होगी पुलिस को।
मृतकों की पहचान नारायण देवी (77), उनकी बेटी प्रतिभा(57) और दो बेटे भुवनेश भाटिय(50) और ललित भाटिया(45) के रूप में हुई है। भुवनेश की पत्नी सविता(48) और उनके तीन बच्चे मीनू(23), निधि(25) और धुव्र(15), ललित भाटिया की पत्नी टीना(42) और उनका 15 वर्ष का बेटा शिवम, प्रतिभा की बेटी प्रियंका(33) के नाम से हुई। प्रियंका की पिछले महीने ही सगाई हुई थी और इस साल के दिसंबर माह में उसकी शादी होनी थी। सगाई के समय का एक विडियो भी सामने आया है जिसमें परिवार काफी खुश दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मीनू प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी जबकि निधि मास्टर्स की पढ़ाई कर रही थी। परिवार बहुत ही शांत विचारों का था, इन्हें किसी से कभी झगड़ते हुए नहीं देखा गया, यह लोग बेहद धार्मिक प्रवृति के भी थे, सब मिलजुलकर रहते थे।
घटनास्थल से मिले हाथ से लिखे कुछ नोट्स को देखते हुए पुलिस को संदेह हुआ कि यह मामला सोच-समझकर की गई आत्महत्याओं का है, जोकि किसी धार्मिक अनुष्ठान के लिए किया गया प्रतीत होता है। अधिकारी के मुताबिक कुछ रजिस्टर पर नोट्स लिखा है कि ‘कोई मरेगा नहीं’ बल्कि कुछ ‘महान’ हासिल कर लेगा। फांसी से लटके पाए गए लोगों के मुँह पर टेप लगे थे और उनके चेहरे जिन कपड़ों के टुकड़ों से ढके हुए थे वह एक ही चादर में से काटे गए थे। बुजुर्ग महिला का चेहरा ढका हुआ नहीं था। डायरी के एक पन्ने पर लिखा है, पट्टियां अच्छे से बांधनी है। शून्य के अलावा कुछ नहीं दिखना चाहिए। रस्सी के साथ सूती चुन्नियां या साड़ी का प्रयोग करना है। रजिस्टर/डायरी में इस क्रिया को करने की तारीख भी बताई गई है। रजिस्टर/डायरी में लिखा है, सात दिन पूजा लगातार करनी है, लगन और श्रद्धा से। कोई घर में आ जाए तो अगले दिन गुरुवार या रविवार को चुनिए। रजिस्टर/डायरी में क्रिया का समय भी बताया गया है। क्रिया के लिए रात एक बजे का वक्त बताया गया है। एक अन्य पेज पर परिवार के एक सदस्य ने लिखा है, सबकी सोच एक जैसी होनी चाहिए। पहले से ज्यादा ढृढता से, यह करते ही तुम्हारे आगे के काम ढृढता से शुरू होंगे। रजिस्टर/डायरी में क्रिया के दौरान घर में मद्धम रोशनी के प्रयोग की बात कही गई है। डायरी के एक अन्य पन्ने पर लिखा है, हाथों की पट्टियां बच जाए तो उसे आंखों पर डबल कर लेना। मुंह की पट्टी को भी रूमाल से डबल कर लेना। जितनी ढृढता और श्रद्धा दिखाओगे उतना ही उचित फल मिलेगा। जोकि बहुत ही हैरान करने वाला है आज की आधुनिक और डिज़िटल तकनीक की दुनिया में। पुलिस सामूहिक सूइसाइड या सामूहिक मर्डर, दोनों के ही एंगल से इस मामले की जांच करने लगी, अब बात आई कि पोस्टमाॅर्टम के बाद शायद यह साफ हो जाए कि हत्या करने के बाद क्या इसे सामूहिक खुदकुशी का रूप दिया गया है। हाॅस्पिटल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट जे. सी. पासी ने बताया कि 11 शवों का पोस्टमाॅर्टम हो गया है। हमारी टीम ने यह प्रक्रिया सोमवार को 3 बजे पूरी की। तेजी से पोस्टमाॅर्टम करने के लिए दो बोर्ड बनाए गए थे। फाइनल रिपोर्ट पुलिस को सौंप दी गई। उन्होंने बताया कि पोस्टमाॅर्टम की प्रक्रिया रविवार को शुरू हुई और इसे दो शिफ्टों शाम 6 से रात 12 बजे और सोमवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक पूरा किया गया। ‘आठ शवों के पोस्टमाॅर्टम में किसी प्रकार की जोर-जबरदस्ती के कोई संकेत नहीं मिले हैं’। तो क्या दस फांसी के फंदों पर झूलने वालों के हाथ इसलिए बंधे थे कि चाहकर भी एक दूसरे की मदद न कर सकेें? मुँह पर पट्टी इसलिए थी कि एक दूसरे की आवाज सुनकर कोई कमजोर न पड़े या पड़ोसियों तक यह न पहंुचे? कानों में रूई इसलिए थी कि अपनों की दर्द भरी चीखें सुनकर किसी का मन विचलित न हो?
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि उपरोक्त 11 लोगों की मौत फांसी पर लटकने के कारण हुई। आठ पीड़ितों की प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार हो गई है और तीन लोगों की पोस्टमाॅर्टम तैयार हो रही है। रविवार को एक ही परिवार के 11 सदस्य अपने घर के भीतर रहस्यमय परिस्थितियों में मृत मिले थे। इनमें सात महिलाएं और दो बच्चे थे। पुलिस अधिकारी के मुताबिक अब तक पुलिस को गला घोंटे जाने या हाथापाई के कोई संकेत नहीं मिले हैं। पुलिस ने बताया कि दस लोग फांसी के फंदे पर लटके थे। जबकि 77 वर्षीय महिला घर के एक अन्य कमरे में मृत मिली थीं। पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि नारायण देवी की मौत गला घोंटे जाने से हुई है। लेकिन डाॅक्टरों का कहना है उनकी मौत भी फांसी लगने के कारण ही हुई है। रस्सी उनके शव के पास लटकी हुई पाई गई। तो सवाल उभरता है कि इनकी रस्सी फांसी के बाद किसने खोली होगी? सूत्र यह भी बता रहें कि इस घर के सीसीटीवी कैमरे में भी रात से लेकर सुबह तक किसी आने और जाने की कोई वीडियो नहीं है, जिससे रहस्य तो बरकरार है कि आखिर उपरोक्त 11 लोगों की मौत को अजांम देने वाला बाहरी है या भीतरी? और अगर कोई इन्हीं 11 में से कोई एक है तो क्या उसने अपने 10 प्रियजनों की मौत को अपनी आंखों से देखकर खुद भी खुदकुशी कर ली। कोई एक धार्मिक प्रवृति का होने के कारण मौक्ष की चाह रखता हो; हो सकता है, क्या वह अपने पूरे परिवार को भी ऐसी मौत की ओर धकेल सकता है? इस सामूहिक फांसी घर की एक दीवार पर 11 पाईप के टुकड़े लगे हुए दिखाई दे रहे हैं, इन्हें भी पुलिस अंधविश्वास से हुई 11 मौत का कारण मान रही है। क्या कोई अनदेखा पुलिस की नज़र से दूर ऐसा भी है जो इन्हें कठपुतली बनाकर अपने इशारे पर चला रहा था? जांच चल रही है, सच देश की सबसे तेज़तर्रार पुलिस की ओर से आना बाकी है। धर्म कोई भी हो लेकिन न तो किसी और की जान लेना सिखाता है, न ही अपनी। ईश्वर ने अनमोल जीवन जीने के लिए दिया है, किसी का जीवन लेने और अपना जीवन खोने के लिए नहीं। कहा जाता है कि अपराध की दुनिया में आज तक कोई परफैक्ट किलर नहीं हुआ, जिसने अपराध को अंजाम देने के बाद कोई निशान न छोड़ा हो, क्या बुराड़ी का कथित मामला जांच एजेंसियों की सोच को भी बदलेगा?
गौरतलब है कि हर दिल दहलाने वाली वारदात के बाद इंसाफ की मांग रहती है। इंसाफ समाज के लिए उदाहरण तो बनता ही है, जिसके परिवार के सदस्य की हत्या/हत्याएं हुई होती हैं, उसे भी जीत का अहसास करवाती है, लेकिन कथित मामले में तो तीन पीढ़ियां एक साथ फांसी पर झूलकर ख़ात्मे की ओर जाती हुई दिखाई दी हैं। देशवासियों ने 11 चिताओं को भी एक साथ जलते हुए देखा है, आखिर इंसाफ किस रूप में सामने आएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
गौरतलब रहे कि क्या पुलिस ने मृतकों के मोबाइल फोन की डिटेल चैक कर यह देखा है कि इन्हें लगातार कोई ऐसी काॅल करके कमांड तो नहीं दे रहा था, जो इन लोगों को सामूहिक तौर पर मरने को मजबूर कर रहा हो या फिर 11 मौत की प्रमुख वज़ह हो? मृतकों के बैंक खाते भी चैक होेने चाहिए कि इनकी ओर से पिछले 6 महींनो में किसी ऐसे व्यक्ति को बढ़ी धन राशी तो नहीं दी गई जो इन सब की हत्याओं का जिम्मेदार हो? क्या कोई और भी है जिसकी फोन लोकेशन भी मृतकों से मिल रही हो? क्या मरने वालों में से कोई इंटरनेट पर मौक्ष प्राप्ति की विधी लगातार सर्च कर रहा था/पढ़ रहा था? क्योंकि मृतकों के सबसे करीबी रिश्तेदार और मृतक ललित, भुवनेश के बड़े भाई दिनेश(राजस्थान निवासी) और इनकी बहन सुजाता का मानना है कि यह अंधविश्वास में डूबी हुई आत्महत्याएं नहीं हैं, इन सभी 11 लोगों की हत्या हुई है, सीबीआई जांच की भी मांग उठ रही है। वारदात के आसपड़ोस में रहने वाले लोग भी कह रहे हैं कि यह तंत्र-मंत्र नहीं गहरा षड़यंत्र है! जांच उलझन भरी हो सकती है, लेकिन इसे सुलझाने का नाम ही तो नतीजे तक पहंुचना है।
-राजेश कुमार

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