आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार की खोली पोल कहा, 698 स्कूलों में साइंस की पढ़ाई नहीं

यु.सि.,नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (Aam Admi Party) सरकार का दिल्ली मॉडल पर सवाल उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता (Adesh Gupta) ने आरोप लगाया कि शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर केजरीवाल सरकार का दिल्ली मॉडल वास्तव में झूठ का पुलिंदा है।

श्री गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का स्वास्थ्य मॉडल इतने ही अच्छे है तो केजरीवाल और उनके मंत्री-विधायक सरकारी खर्चें पर अपना इलाज करोड़ों रुपये खर्च करके निजी अस्पतालों में क्यों करवाते है।

आदेश गुप्ता ने कहा कि 38 अस्पतालों में से 32 में हृदयरोग के उपचार तक की सुविधा नहीं है। दिल्ली के लोगों का इस बीमारी में बड़ा सहारा केंद्र सरकार के अस्पताल हैं। श्री गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली में प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना को लागू तक नहीं किया। अगर यह योजना लागू हो तो दिल्ली के गरीब और जरुरतमंद लोग अपना पांच लाख का इलाज मुफ्त करवा सकते हैं।

श्री गुप्ता यही नही रूके उन्होंने दिल्ली सरकार शिक्षा मॉडल की बात करते कहा कि सच्चाई ये है कि इस मुद्दे में गत आठ वर्षों में से आवंटित राशि में से 60 फीसदी राशि को खर्च ही नहीं किया गया। उन्होंने कहा केजरीवाल सरकार का दावा 500 नए स्कूल और 20 कॉलेज खोलने का था, लेकिन 31 स्कूल और एक कॉलेज बंद कर दिया गया। दिल्ली सरकार के 12 कॉलेज के कर्मचारियों को वेतन नही मिल रहा है।

आदेश गुप्ता ने कहा कि वर्ष 2015-16 के अंदर शिक्षा के लिए आवंटित 3350 करोड़ रुपये में सिर्फ 1964 करोड़ रुपये खर्च हो पाया। 2016-17 में 3499.50 करोड़ रुपये में से सिर्फ 2666.48 करोड़ रुपये, 2017-18 में 2204 करोड़ रुपये में से 2200 करोड़, 2018-19 में 4789 करोड़ रुपये में से सिर्फ 1874 करोड़ रुपये, 2019-20 में 4591 करोड़ रुपये में से सिर्फ 2836 करोड़ रुपये 2020-21 3626 करोड़ रुपये में से 1760 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाया।

श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास 1030 स्कूल है जिनमें से 755 स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। 416 स्कूलों में उपप्रधानाध्यापक नहीं है। 21000 शिक्षकों के पद खाली हैं और सिर्फ 698 स्कूलों में साइंस की पढ़ाई नहीं होती है और केजरीवाल दिल्ली के बच्चों को वैज्ञानिक और डॉक्टर बनने की सलाह देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि दसवीं कक्षा का परिणाम बेहतर दिखाने के लिए नौवीं कक्षा में छात्रों को फेल कर दिया जाता है। यह संख्या पिछले कई वर्षों से बढ़ रही है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली का 10वीं परिणाम सबसे कम रहा है।

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