चांदनी चौक, कांग्रेस से इनको को टिकट मिलता है तो भाजपा के लिए राह आसान नही होगी

-प्रमोद गोस्वामी

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर इमानदारी से चुनाव लड़े तो भाजपा के लिए इस सीट को जितना नामुमकिन होगा!

नई दिल्ली। लोकतंत्र का सबसे बड़ा चुनाव, लोकसभा चुनाव का विगुल एक दो दिनों में ही बज सकती है। राजधानी दिल्ली के लोकसभा की सातों सीटों पर काबिज देश के सबसे बड़ी राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में बड़े स्तर पर उम्मीदवारों में फेरबदल की है। भाजपा ने सात सीटों में पॉच पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। चांदनी चौक से प्रवीण खंडेलवाल, जो एक व्यापारी नेता है। दक्षिण दिल्ली से रामबीर सिंह बिधूड़ी जो दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष है। नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज जो पूर्व केद्रीय मंत्री स्व. सुषमा स्वराज की पुत्री है। पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सेहरावत जो पूर्व में मेयर रह चुकी है। पूर्वी दिल्ली से मनोज तिवारी को दुबारा मौका मिला है।

दिल्ली की सबसे अहम सीटों में चांदनी चौक लोकसभा सीट मानी जाती है। इस सीट से डॉ हर्षवर्धन लगातार दुसरी बार सांसद है। 2019 की लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक से डॉ हर्षवर्धन ने कांग्रेस के जेपी अग्रवाल को 2 लाख 28 हजार 145 मतों से हराया था। चांदनी चौक से भाजपा ने डॉ हर्षवर्धन की टिकट काटकर प्रवीण खंडेलवाल को उम्मीदवार बनाया है।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है। दिल्ली की सात सीटों में चार पर आप पार्टी और तीन पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। चांदनी चौक लोकसभा सीट कांग्रेस के पाले में आया है और कांग्रेस ने अभीतक अपनी उम्मीदवार की घोषणा नही की है। हांलाकि कांग्रेस की ओर से कई चेहरे है जो टिकट की दावेदारी ठोक रहे है, जिनमें चांदनी पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व विधायक अलका लांबा, पूर्व मंत्री हारून यूसुफ एवं पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता के नाम चल रहे हैं। लेकिन क्षेत्र में चर्चा ये हो रही है की चांदनी चौक लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता अलका लांबा को टिकट मिलता है तो भाजपा के लिए राह आसान नही होगी। अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर इमानदारी से चुनाव लड़े तो भाजपा के लिए इस सीट को जितना नामुमकिन होगा।

हांलाकि दिल्ली ही नही देश भर में प्रधानमंत्री मोदी का बेयार बह रहा है और लोकसभा चुनाव भी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जा रहा है। ये भी माना जा रहा है कि ये मोदी का बेयार है प्रत्याशी मायने नही रखता कि वो जमिन पर कितना मजबूत है कोई भी हो जीत मोदी के चेहरे पर ही होगी।

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