रद्दी पेपर में जिंदगी तलाश रही 200 परिवार

मोइन खान, फतेहपुर

फतेहपुर। गरीबों के हित में सरकार ने तमाम योजनाएं भले ही चलाई हो लेकिन फतेहपुर जिले में एक तबका ऐसा भी है जो आज भी रद्दी अखबारों से लिफाफे बनाकर अपना जीवन यापन कर रहा है। महंगाई के इस दौर में जहां अखबार महंगा मिलने लगा है वही बाजार में बिकने वाली प्लास्टिक की थैलियों के चलते अखबारों से बनने वाले लिफाफों का चलन भी पहले से काफी कम हो गया है जिसके चलते इन परिवारों की दुश्वारियां काफी बढ़ गई है फतेहपुर जिले की कबाड़ी मोहल्ले में होने वाले इस कारोबार में इस इलाके में रहने वाले लगभग एक सैकड़ा परिवार इसी के बल पर अपना परिवार चला रहे हैं।

फतेहपुर शहर का कबाड़ी मार्केट इलाका शहर के स्लम एरिया में शामिल इस इलाके में लगभग 200 परिवार आज भी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं कबाड़ में जिंदगी तलाशने के अलावा यहां परिवारों का रोजी-रोटी का जरिया रद्दी अखबारों से लिफाफे बनाकर उन्हें बाजार में बेचना है लेकिन मार्केट में छाई महंगाई के चलते यह काम भी अब काफी मुश्किल भरा साबित हो रहा है अभी सस्ती दर पर मिलने वाला रद्दी का अखबार अब 20-25 रूपये प्रति किलो की हिसाब से मिल रहा है। उससे जो लिफाफा बनाकर यह लोग तैयार करते हैं उसे जब बाजार में बेचने जाते हैं तो इन लोगों को लागत निकालना भी मुश्किल साबित हो रहा है। ऐसे हालात में इस पेशे में लगी तमाम महिलाओं का कहना है कि उन्हें अब अपना परिवार चलाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

रद्दी पेपर में अपनी जिंदगी तलाश रही सकिला

रद्दी पेपर में अपनी जिंदगी तलाश रही सकिला बताती है कि सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नही मिलता। वह बताती है कि रद्दी पेपर से लिफाफे बनाकर उन्हें बाजार में बेचकर अपनी जीवन व्यक्त कर रही है लेकिन उससे भी जीवन नही चल रहा। सकिला ने सरकार से गुहार लगाई है कि जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन परिवारों भी मील जाता तो शायद उनकी जीवन भी बदल जाती। यहां पर सकिला जैसे तकरिबन 200 परिवार रद्दी पेपर से लिफाफे बनाकर अपना पालन पोषन कर रहे है।

जन कल्याणकारी योजनाओं से वंचित दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही सकिला

 

 

गरीबों के लिए चलाई जा रही तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ दूसरे लोगों को भले ही मिला हो लेकिन यहां रहने वाले तमाम लोगों के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाना भी अभी भी दूर की कौड़ी साबित हो रहा है इन महिलाओं की माने तो दरबे नुमा मकानों में रहने वाले इन लोगों को ना तो प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल पाया है और ना ही इनके हिस्से में दूसरी तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ आ पाया आया है। इन महिलाओं का कहना है कि अगर सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उन परिवारों तक भी पहुंच जाए तो वह भी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और रहने का बेहतर माहौल दे सकती हैं।

सरकार की तरफ से जारी होने वाले तमाम विज्ञापनों में सरकारी लाभ पाने वालों का बखान भले ही किया जाता है लेकिन फतेहपुर शहर के सबसे पिछड़े इलाकों में शामिल इस क्षेत्र में अभी भी दुश्वारियां पहले की तरह से ही कायम है अगर सरकारी योजनाओं का लाभ इस इलाके के रहने वालों को भी मिल जाए तो इनकी जिंदगी बेहतर हो सकते हैं और अगर हालात यही रहे तो आने वाले समय में इन परिवारों को अपना पेट भरने के लिए भी कोई न कोई नया जरिया तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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