कंझावला कांडः क्या अपने आप में एक रहस्य नहीं है?

31 तारीख़ की देर रात को जो अपराध की घटना कंझावला में घटी, उसे देखकर सुबह देशवासी सन्न रह गए। लोग एक-दूसरे को कह रहे हैं कि ‘क्या कोई इतना क्रूर भी हो सकता है’? लेकिन यहां एक नहीं पांच थे! सूचना मिलने पर पहले तो पुलिस ने सुनी नहीं! सामने आई भी तो अधूरा सच लेकर! मामले को पहली ही नज़र में पुलिस ने एक्सीडेंट करार कर हल्का करने की कोशिश की। एक्सीडेंट में अक्सर आरोपी मारकर बचने के इरादे से मौके से भाग जाते हैं। लेकिन कंझावला कांड के आरोपी कार के नीचे युवती को रौंदते हुए एक ही स्थान पर गोल-गोल घूम रहे थे! क्यों पुलिस जानना नहीं चाह रही थी? जिम्मेदार नागरिक चश्मदीद लड़के की प्रथम सूचना पर पुलिस क्यों एक्टिव नहीं हुई? पीसीआर में तैनात पुलिसकर्मियों ने चश्मदीद की सूचना पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई नहीं की, उन्हें आखि़र कब बर्ख़ास्त किया जाएगा?

गौरतलब रहे कि ‘‘कंझावला कांड’’ शर्मसार करने वाला है। कार के टायर में एक कंकर, सड़क पर पड़ी तार-रस्सी-पन्नी-झाड़ी फंस जाती है तो चालक को तुरंत पता चल जाता है, एक जिंदा युवती नीचे फंसी हुई थी, कार चालक को पता नहीं चला हैरानी की बात है…पहली नज़र में एक्सीडेंट तो नहीं है यह केस… ऐसा भी हो सकता है कि अपहरण करने की कोशिश में नोंकझोंक होने के बाद कार में सवार लड़कों ने लड़की को कार से रौंदने की कोशिश की हो, जिसके बाद वह कार के नीचे फंस गई और यह उसे मारने के इरादे से लगातार कार चलाते रहे हों और वह मौत के मुंह से बाहर आने के लिए तड़पती रही हो। इस दहशत भरी रात की कल्पना करके किसी की भी रूह कांप जाएगी। अचानक से लगभग दो दिन बाद पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि मृतक युवती केे साथ वारदात वाली रात को एक और लड़की भी थी। जिसके अपने बयान में विरोधाभाष है और इसे मृतका अंजली की मां जनती तक नहीं है! कोई भी मां, अपनी बेटी की सहेलियां अच्छी तरह जानती है, अगर उन्हें भरोसा नहीं है मृतका ‘अंजली’ की सहेली ‘निधि’ पर तो क्यों न इसे भी जांच के दायरे में लाया जाए? पुलिस द्वारा। क्या गलत बयानी से आरोपियों को लाभ नहीं मिलेगा? पुलिस को मौके से सूचना न देना, अपनी दोस्त को दर्दनाक, भयभीत हालात में मरने के लिए छोड़ देना, वहां से गुपचुप भाग जाना और उसके बाद पुलिस-मीडिया से चुप्पी, क्या अपने आप में एक रहस्य नहीं है? कहीं-न-कहीं पुलिस द्वारा सड़कों पर ठीक से पेट्रोलिंग न होने से भी दिल्ली में इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। इस घटना से सबक लेते हुए पुलिस को प्रथम सूचना का महत्व समझना चाहिए (खासकर जब बात किसी की बेटी की हो) तुरंत एक्शन में आना चाहिए।

गौरतलब रहे कि दिल्ली के कंझावला क्षेत्र में हुई 20 साल की लड़की की मौत के बाद उसकी आॅटोप्सी रिपोर्ट में चैंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मृतका की रिपोर्ट में बताया गया है कि उसका सिर पूरी तरह से खुल गया था, ब्रेन मैटर गायब था, रीढ़ की हड्डी टूटी हुई थी और उसके शरीर पर कुल 40 चोटें थीं। मृतका की पसलियां पीछे की तरफ से निकली हुई थीं और बुरी तरह से पिस चुकी थीं। मौलाना आजाद मेडिकल काॅलेज में डाॅक्टरों के एक मेडिकल बोर्ड ने आटोप्सी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कमर के हिस्से में रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर था और उसका लगभग पूरा शरीर मिट्टी और गंदगी से सना हुआ था। डाॅक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सदमा और ज्यादा खून बहने के चलते मौत हो गई। फिर कार में फंसने के बाद शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आई हैं। एफएसएल के मुताबिक युवती के कार में मौजूद होने के सुराग नहीं। वहीं, इस केस में फाॅरेंसिक की रिपोर्ट भी सामने आ चुकी है। इसमें बताया गया है कि युवती कार के अगले बाएं पहिये में फंसी थी, ज्यादातर खून के धब्बे उसी बाएं पहिये के पीछे पाए गए हैं। कार के नीचे अन्य हिस्सों पर भी खून के धब्बे मिले हैं। इस पूरे मामले में अब मृतका की दोस्त भी सवालों के घेरे में है। जिस पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया, मृतका की दोस्त टीवी चैनलों पर लाइव शो में बैठकर बता रही है कि कैसे उसके सामने लड़को ने मृतका को रोंदा और ये ‘दोस्त’ वहां से अपने घर चली गयी, ये कैसी दोस्त है? इसने लड़कों को रोका नहीं, पुलिस या मृतका के किसी रिश्तेदार को नहीं बताया, घर में जाके बैठ गयी, इसकी भी जांच होनी जरूरी है। मृतका अंजलि की मां ने कहा है कि अंजलि कभी शराब नहीं पीती थी। वह कभी भी नशे की हालत में घर नहीं पहुंची।

इसके अलावा अंजलि की मां ने कहा कि तथाकथित निधि सब गलत बातें कह रही है। अगर निधि मेरी बेटी की सहेली थी, तो उसने अंजलि को अकेला कैसे छोड़ा। अंजलि की मां ने कहा कि यह एक सोची समझी साजिश है और निधि इस षड़यंत्र में शामिल है। अंजलि की मां ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि मैं, अधिकारियों से इस मामले की जांच करने और परिवार को आर्थिक रूप से समर्थन देने का अनुरोध करती हूं। जल्द से जल्द परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए। किसी पर मैं आरोप नहीं लगाती, लेकिन उस लड़की (निधि) ने अपने बयान में जो कहा है, मैं उसका समर्थन नहीं करती। सूत्रों के अनुसार कथित मामले में गृहमंत्रालय के आदेश पर बनी जांच कमेटी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा को रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के अनुसार, 13 किलोमीटर के रूट पर पांच पीसीआर वैन तैनात थीं। पांच से छह पीसीआर काॅल हुईं। चश्मदीद दीपक से 20 से ज्यादा बार पुलिस अफसरों ने बात की थी। उसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए कुल नौ पीसीआर वैन को लगाया गया। आरोपियों को लोकल पुलिस भी खोज रही थी, लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस मौके से आरोपियों को नहीं पकड़ पाई। अब पुलिस की नाकामी पर क्या कार्रवाई होगी यह तो समय बताएगा… लेकिन लोगों के बीच चर्चा आम है कि पुलिस इस मामले में ठीक से कार्रवाई नहीं कर रही है। कितना न्याय होगा पीड़ित परिवार के साथ कह नहीं सकते… पुलिस को काॅल डिटेल, टाॅवर साइन, लोकेशन और आरोपियों, निधी के फोन चैट से भी अहम सबूत मिल सकते हैं, जोकि इंसाफ की राह में अहम साबित होंगे।

-राजेश कुमार (लेखक)

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