सशक्त और मजबूत भारत का आधार है हमारा गणतंत्र और संविधान

हितेश कुमार शर्मा, सदस्य भारत विकास परिषद्

जब हिंदुस्तान आजाद हुआ था तब पूरे विश्व ने शंका जाहिर की थी कि क्या इतनी विभिन्न भाषाओं, बोलियों, इतने विभिन्न धर्मों, जातियों और संप्रदायों का ये देश कितने दिन एकजुट रह पायेगा, लेकिन उन लोगों को भारत के संविधान की शक्ति, राष्ट्रभक्ति और लोकतंत्र में भारतीयों की आस्था का अंदाजा नहीं था। उन्हें पता नहीं था कि महा जनपदों के काल से लोकतंत्र में आस्था रखने वाला देश है भारत। इसी आस्था को और अधिक दृढ़ व शक्तिशाली बनाने के लिए हम हर वर्ष गणतंत्र दिवस मनाते है।

26 जनवरी को हमारा 75वां गणतंत्र दिवस है। 26 जनवरी 1930 को देश में पहली बार पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था। जिसके सम्मान में 26 जनवरी को भारत का संविधान लागू करने की तिथि के रूप में चयन किया गया था। आज भारत को गणराज्य बने हुए 74 वर्ष बीत चुके है और अब देश निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर है।

कभी भारत को चुनौती देते हुए अंग्रेज गवर्नर लॉर्ड बिरकेनहेड(1924-28) ने भारतीयों को स्वयं अपना संविधान लिखने की चुनौती देते हुए कहा कि “भारतीयों को ऐसे संविधान का निर्माण करने देना चाहिए जो भारत के महान नेताओं के बीच सामान्य सहमति का उचित माप लेकर चले“। भारत के राष्ट्रवादी नेताओं ने विश्व के सर्वश्रेष्ठ संविधान का मसौदा तैयार करके इस चुनौती का जवाब दिया और ये दिन था 26 जनवरी 1950, गुरूवार का दिन समय लगभग सुबह सवा दस बजे, जो शायद इतिहास की सबसे अभूतपूर्व घटनाओं का साक्षी बनने जा रहा था। जब राष्ट्रपति भवन के दरबारी हॉल में भारतवर्ष के गणतंत्र बनने की ऐतिहासिक घोषणा हुई। आज भारत का संविधान लागू हुए 74 वर्ष बीत चुके है। इस अवधि में भारत ने हर प्रकार की सम और विषम परिस्थितियों का डटकर सामना किया है। भारत का संविधान इतना श्रेष्ठ और सार्थक भावना से निर्मित है कि हर भारतवासी को अपनी बात स्वतंत्रता से रखने की आजादी देता है।
भारत के संविधान की उद्देशिका “हम भारत के लोग“ से शुरू होती है जिसका अर्थ है कि संविधान अपनी शक्ति सीधी जनता से प्राप्त करता है और इसी कारण से हमारे देश का संविधान सर्वोच्च है। भारत में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका संविधान के अनुरूप कार्य करते हैं।

संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा गया है “भारत अर्थात इंडिया राज्यों का एक संघ होगा“। “प्दकपं जींज पे ठींतंज ससस इमयूनियन शब्द का प्रयोग संविधान सभा की दूरदर्शिता का शानदार उदाहरण है। राज्यों का संघ एक मजबूत और शक्तिशाली राष्ट्र भारत का निर्माण करता है और राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं होता। ऐसे ही अनेक प्रावधानों से संविधान ने भारतवर्ष की अखंडता और एकता को सुनिश्चित किया है। गणतंत्र दिवस पर हमें दुनिया का सबसे बड़ा लिखित लोकतांत्रिक संविधान मिला। ऐसा संविधान जो देश के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार, समान अवसर प्रदान करता है। गणतंत्र दिवस संविधान और संविधान निर्माता को नमन करने का दिन है। आज भारत विकासशील से विकसित देश और राष्ट्रगुरु बनने की राह पर है। इसके लिए आवश्यक है समाज के अंतिम व्यक्ति को सक्षम बनाया जाए, जीवन की अनिवार्य मूलभूत आवश्यकताओं से कोई भी देशवासी मोहताज न हो। भारत को राष्ट्र गुरू बनाने के हम सब भारतवासियों को भी अपने अधिकारों से अधिक अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित होना होगा। इस तरह हम अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के भारत का निर्माण कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। देश के समस्त राष्ट्रभक्त स्वतंत्रता सेनानियों को नमन और श्रद्धांजलि।
भारत माता की जय।

Related posts

Leave a Comment