उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी से लोगों को बहुत आशायें थीं, जो पूरी न हो सकी

-हरेश कुमार

देश की राजधानी दिल्ली में उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा एक महत्वपूर्ण सीट है। यहां से मनोज तिवारी लगातार दो बार से लोकसभा सांसद हैं और तीसरी बार भी भाजपा से उन्हें टिकट मिला है, वहीं भाजपा ने दिल्ली से मनोज तिवारी को छोड़कर सभी सांसदों का टिकट काट दिया है। इससे ऐसा लगता है कि मनोज तिवारी ने क्षेत्र में काफी काम किया है, लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोगों की मुख्य समस्या आज भी जस की तस है। क्षेत्र के लोगों पीने के पानी के लिए आज भी दिक्कतें आ रही हैं। ट्रैफिक समस्या पहले से कई गुना बढ़ चुका है। चिकित्सा सुविधा की अच्छी स्थिति नहीं है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के बच्चों के लिए ढंग का स्कूल बहुत कम है और जो हैं वो प्राइवेट क्षेत्र में हैं, जिसकी फीस काफी अधिक है। सामान्य व्यक्ति महंगाई के समय में घर मुश्किल से चला पा रहा है, वो अपना पेट काटकर भी बच्चों को सही शिक्षा दिलाने में असमर्थ है।

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में अभिनेता और गायक के तौर पर लोकप्रिय मनोज तिवारी की लोकप्रियता आज भी कमोबेश बरकरार है, इसमें कोई शक नहीं है,लेकिन क्षेत्र के लोगों को निराशा ही हाथ लगी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक बड़े क्षेत्र में पीने के पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। उत्तर-पूर्वी लोकसभा में एक बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ट्रैफिक की समस्या सुरसा की तरह विकराल रूप धारण कर चुकी है। कुछ पुल-पुलिया बने हैं, लेकिन आबादी के लिहाज से ये काफी कम हैं। सड़कों की स्थिति दयनीय है।

बुराड़ी में जाम के कारण लोगों को घंटों लग जाता है। यहां के लोगों को आने वाले समय में भी इससे छुटकारा मिलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। सड़कों की स्थिति खस्ताहाल हो चुकी है। अतिक्रमण के कारण आधी सड़कों पर लोगों का कब्जा हो चुका है। बुराड़ी व इससे सटे नत्थूपुरा, केशवपुरम, मुकुंदपुर में अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों की भारी कमी है। इन गलियों में न सड़क है और न ही नाली व अन्य सुविधाएं। सांसद और विधायक एक-दूसरे पर दोषरोपण करते हैं। क्षेत्र के लोग इसके लिए सांसद और विधायक दोनों को जिम्मेदार बताते हैं और यह सही भी है। क्षेत्र के विकास के लिए सांसद और विधायक को एक-दूसरे के साथ सहयोग की अपेक्षा की जाती है, जो यहां नहीं दिखता है।

इस क्षेत्र में जीवन के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। इसके लिए सही नीति बनाने और समय पर उसे लागू करने की जरूरत है, जो कहीं नहीं दिखता है। क्षेत्र के लोगों की मांग है कि अनधिकृतकॉलोनियं को सरकार अधिकृत कॉलोनियों में बदले, जिससे कि लाखों की संख्या में बसे लोगों की दिक्कतों का समाधान हो सके। अनधिकृत कॉलोनियों में आए दिन बुलडोजर गरजते रहते हैं। इससे जीवनभर की कमाई लगाकर अपना घर बनाने वाले लोगों की सारी पूंजी एक ही झटके में डूब जाती है। सांसद को चाहिए कि भ्रष्टाचार में लिप्त बिल्डरों पर कार्रवाई के लिए आवाज उठाये, लेकिन ऐसा कभी सुनने को नहीं मिला।
कुल मिलाकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में समस्याओं का अंबार है, लेकिन इसके समाधान को लेकर क्षेत्रीय सांसद उतने एक्टिव नहीं रहते हैं। यही कारण है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली का विकास उस तरह से नहीं हो सका, जैसा कि राजधानी दिल्ली में होना चाहिए था।

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