ज्योतिरादित्य सिंधिया का भाजपा में आना, कमलनाथ सरकार का तय है जाना

प्रमोद गोस्वामी, पत्रकार एवं राजनीतिक विशलेषक

सत्तर साल पुरानी पार्टी ‘कांग्रेस’ की उल्टी गिनती तभी शुरू हो गई थी, जब नरेन्द्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी की कमान संभाला थी। भाजपा का नारा कांग्रेस मुक्त भारत कही न कही सफल होते दिखाई दे रहा है। कांग्रेस में कोई ऐसा नेता नहीं जो इन परिस्तिथियों में पार्टी को उबार सकें। सोनिया गांधी का पार्टी अध्यक्ष पर बने रहना यह दर्शाता है कि पार्टी में कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिस पर गांधी परिवार भरोसा कर सके। वहीं, गांधी परिवार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो कांग्रेस की डूबती नैया को बचा सके।

मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ 22 अन्य विधायकों ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिये एक बड़ी क्षति है। 18 सालों से कांग्रेस के हाथ को मजबूत करने वाले सिंधिया का कहना है कि पार्टी ने उनकी अनदेखी की है। पिछले कई महीनों से कमलनाथ और सिंधिया के बीच राजनीतिक मनमुटाव चरम पर आ गया था। इसके बाद सिंधिया ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा था, जिसे पार्टी द्वारा इग्नोर किया गया। यह भी माना जा रहा है कि पार्टी द्वारा युवा चेहरे को तवज्जो नहीं दिया जा रहा है।
उत्तराखंड में विजय बहुगुणा, असम में हेमंत बिस्व शर्मा, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और अब मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को अलविदा कहने वाले मजबूत नेता रहे हैं। आने वाले समय में राजस्थान में सचिन पायलट भी इस सूची में शामिल हो सकते है। हालांकि, सिंधिया के कांग्रेस का साथ छोड़ने पर सचिन पायलट ने कहा कि सिंधिया को पार्टी से बात करनी चाहिए थी।

आखिरकार पार्टी के बड़े चेहरे को कब तक अनदेखा किया जा सकता है। 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के समय से ही सिंधिया और कमलनाथ सरकार के बीच मनमुटाव चल रहा था। हर मोर्चे पर सिंधिया की अनदेखी की जा रही थी। कुछ दिनो से चल रहे सियासी ड्रामे के बाद सिंधिया ने अपना रास्ता साफ कर लिया है और वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये हैं। एक बात तय है कि सिंधिया को भाजपा में शामिल होने से कमलनाथ सरकार का जाना तय हो गया है। सिंधिया के साथ-साथ अन्य विधायक भी भाजपा में आ सकते है।

यह भी पढ़ेंः दिल्ली दंगों का मास्टरमाइंड कौन?

मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच सिंधिया 11 मार्च 2020 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और उसी दिन पार्टी ने सिंधिया को मध्य प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार भी घोषित कर दिया।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया का नाम एक समय में कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेताओं में शामिल थे, लेकिन पार्टी में उपेक्षित होकर उन्होंने भी कांग्रेस को छोड़ दिया और अपनी अलग पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बनाई थी। हालांकि, बाद में वे कांग्रेस में वापस लौट गए थे।

सिंधिया के जाने के बाद से मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल आया हुआ है, या यूं कहें कि कांग्रेस हाई कमान व कमलनाथ सरकार के चेहरे का रंग उड़ा हुआ है। पार्टी के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह व अन्य नेतागण प्रेस वर्ता कर भाजपा पर पार्टी को तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। जो भी हो सिंधिया के भाजपा में आने से कमलनाथ सरकार की ही नहीं, कांग्रेस पार्टी की भी कमर टूट गई है। जिसे भरपाई करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

Related posts

Leave a Comment